Published on: May 3, 2025

अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'Truth Social' पर एक AI जनरेटेड इमेज पोस्ट की है, जिसमें वे पोप की पोशाक में नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में पोप फ्रांसिस का निधन हुआ है, और ईसाई समुदाय इस समय शोक में है। ऐसे संवेदनशील मौके पर ट्रंप की यह पोस्ट कई लोगों को आपत्तिजनक लगी। उनकी इस हरकत को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त विरोध हो रहा है और लोग इसे ईसाई आस्थाओं का अपमान मान रहे हैं।
विस्तृत विवरण
अमेरिकी (American) राजनीति के विवादित चेहरे डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और इस बार कारण धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है। ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' (Truth Social) पर एक AI द्वारा बनाई गई तस्वीर साझा की, जिसमें वे ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु, पोप (Pope) की पोशाक पहने हुए नजर आ रहे हैं। यह तस्वीर तब सामने आई है जब पोप फ्रांसिस (Pope Francis) के निधन की खबर ने विश्वभर के ईसाई समुदाय को शोक में डाल दिया है।
इस समय जब लाखों लोग पोप के जाने का दुख मना रहे हैं, ट्रंप का खुद को पोप के रूप में प्रस्तुत करना कई लोगों को आहत कर गया। ईसाई संगठनों और धार्मिक नेताओं ने इसे न केवल असंवेदनशील, बल्कि धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया है। सोशल मीडिया पर भी इस कदम की तीखी आलोचना हो रही है, और कई यूज़र्स ने इसे “शर्मनाक राजनीतिक स्टंट” बताया है।
ट्रंप के समर्थक जहां इस पोस्ट को हास्य और आत्मविश्वास से भरा कदम बता रहे हैं, वहीं आलोचक इसे एक राजनीतिक हथकंडा मानते हैं जो धार्मिक प्रतीकों का प्रयोग करके ध्यान आकर्षित करने का प्रयास है।
इस पूरे विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीति में धार्मिक प्रतीकों का उपयोग नैतिक है? क्या एक पूर्व राष्ट्रपति को ऐसे समय में इस तरह की पोस्ट से बचना नहीं चाहिए था? ट्रंप की यह पोस्ट निश्चित ही "विवादों का ताज" बनती जा रही है।

ट्रंप और पोप के बीच पुराने विवाद
डोनाल्ड ट्रंप और पोप फ्रांसिस के बीच पहले भी कई बार मतभेद सामने आ चुके हैं। 2016 में, पोप ने ट्रंप की मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने की योजना की आलोचना करते हुए कहा था कि "जो व्यक्ति केवल दीवारें बनाना चाहता है, वह ईसाई नहीं हो सकता"। इसके जवाब में ट्रंप ने पोप की टिप्पणी को "अपमानजनक" बताया था। इसके अलावा, पोप ने ट्रंप की प्रवासी नीतियों की भी आलोचना की थी, जिसे ट्रंप प्रशासन ने नकारात्मक रूप में लिया था।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की पोप बनने की मजाकिया टिप्पणी ने एक बार फिर से उन्हें विवादों के केंद्र में ला दिया है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि यह केवल एक मजाक था, लेकिन इसने धार्मिक समुदाय और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। यह घटना दिखाती है कि सार्वजनिक हस्तियों को अपने बयानों में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी बरतनी चाहिए, विशेषकर जब वे धार्मिक या सांस्कृतिक मुद्दों से संबंधित हों।