Published on: April 29, 2025

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए नृशंस आतंकी हमले में 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी छूट दे दी है। अब भारतीय सेना समय, स्थान और लक्ष्य स्वयं तय करेगी। सरकार ने पाकिस्तान पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया है। इस फैसले के बाद पूरे देश में आक्रोश है और प्रतिशोध की भावना तीव्र हो गई है।
हमले की पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ
पहलगाम में हुआ यह हमला जम्मू-कश्मीर के आतंकी इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ता है। इससे पहले 2019 में पुलवामा हमले ने देश को झकझोर दिया था, जिसमें 40 से अधिक जवान शहीद हुए थे। तब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर जवाब दिया था। उसी नीति को दोहराते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अब भी सेना को "फ्री हैंड" देते हुए संकेत दिया है कि भारत अब हर आतंकी हमले का निर्णायक जवाब देगा।
आर्थिक और सामाजिक असर
इस आतंकी हमले का असर पर्यटन पर भी पड़ा है। कश्मीर घाटी के 87 में से 48 प्रमुख पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। इससे स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी प्रभाव पड़ा है। वहीं, सुरक्षाबलों की सघन उपस्थिति के चलते जनजीवन प्रभावित हुआ है।
मानवाधिकार संगठनों ने सेना की कार्रवाइयों पर चिंता जताई है, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
बदले की रणनीति और राष्ट्रीय रुख
22 अप्रैल को हुए इस हमले में आतंकियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर यात्रियों को निशाना बनाया। यह हमला पूर्व नियोजित और बेहद घातक था। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुट शामिल हैं। हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने उच्च स्तरीय अलर्ट जारी कर दिया है और घाटी में व्यापक तलाशी अभियान शुरू हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना के 24 घंटे के भीतर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, थल, वायु और नौसेना प्रमुखों के साथ आपात बैठक की। इस बैठक के बाद यह स्पष्ट कर दिया गया कि भारतीय सेना अब जवाबी कार्रवाई की रूपरेखा खुद तय करेगी — "ना तारीख तय होगी, ना स्थान; बदला ज़रूर होगा।"
इस फैसले के साथ ही भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 29 अप्रैल तक देश छोड़ने का निर्देश दिया गया है। केवल दीर्घकालिक और राजनयिक वीजा धारकों को अस्थायी छूट दी गई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कूटनीतिक माहौल
इस हमले की निंदा अमेरिका, फ्रांस, जापान और रूस जैसे देशों ने की है। भारत को वैश्विक समर्थन मिल रहा है, वहीं पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए खुद को एक “शांतिप्रिय राष्ट्र” बताया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बार भारत के रुख के समर्थन में दिख रहा है।
निष्कर्ष
पहलगाम हमला भारत की आंतरिक सुरक्षा और धैर्य की परीक्षा है। सरकार का स्पष्ट रुख और सेना को दी गई खुली छूट दर्शाती है कि भारत अब केवल सहने वाला राष्ट्र नहीं रहा। बदले की कार्रवाई कब और कैसे होगी — यह अब सेना तय करेगी। देश एक स्वर में कह रहा है: अब की बार, जवाब करारा होगा।